ग्रेटर नोएडा के थाना बीटा-2 क्षेत्र में स्थित स्वर्ण नगरी के एक बंद गोदाम में बीते 26 नवंबर को एक गंभीर हादसा हुआ। गोदाम में गैस लीक होने से आग लग गई, जिसमें तीन मजदूरों की जलकर मौत हो गई। यह दर्दनाक घटना उस समय हुई जब मजदूर गोदाम में सोफा बनाने का काम कर रहे थे। घटना ने स्थानीय प्रशासन और समाज में गहरी चिंता पैदा कर दी है।
इस मामले में पुलिस ने फैक्टरी मालिक तकी हसन को गिरफ्तार किया था, लेकिन उन्हें तुरंत जमानत मिल गई। इस घटना को लेकर बढ़ते आक्रोश और सुरक्षा उपायों की लापरवाही के मद्देनजर गौतम बुद्ध नगर के जिलाधिकारी (डीएम) मनीष वर्मा ने इस पर सख्त रुख अपनाते हुए जांच के लिए टीम गठित की है।
घटना की पृष्ठभूमि
26 नवंबर को स्वर्ण नगरी में स्थित एक बंद गोदाम में गैस लीक के कारण अचानक आग भड़क उठी। वहां काम कर रहे तीन मजदूर आग की चपेट में आ गए और उनकी मौके पर ही जलकर मौत हो गई।
स्थानीय पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए फैक्टरी मालिक तकी हसन को गिरफ्तार किया। हालांकि, कानून के प्रावधानों के तहत उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया। इस घटना ने फैक्टरी और गोदामों में फायर सेफ्टी को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं।
डीएम की कार्रवाई: जांच के लिए गठित टीम
घटना के बाद डीएम मनीष वर्मा ने मामले का संज्ञान लेते हुए एडीएम (फाइनेंस) की अध्यक्षता में एक जांच समिति का गठन किया है। यह टीम पूरे मामले की जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।
डीएम वर्मा ने कहा कि गौतम बुद्ध नगर में जितने भी संस्थान और उद्योग चल रहे हैं, उनकी एनओसी (नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट) और अन्य मानकों की दोबारा जांच की जाएगी। फायर डिपार्टमेंट की एनओसी और नक्शे के अनुसार संचालन सुनिश्चित करने के लिए हर संस्थान और उद्योग का ऑडिट किया जाएगा।
एनओसी और सुरक्षा मानकों की जांच
डीएम मनीष वर्मा ने कहा कि प्रशासन अब सभी औद्योगिक और संस्थानिक भवनों की एनओसी और फायर सेफ्टी प्रावधानों का गहनता से निरीक्षण करेगा। उनका कहना है,
“फायर डिपार्टमेंट की विस्तृत रिपोर्ट मंगाई जा रही है। जो भी संस्थान या उद्योग बिना एनओसी के चल रहे हैं, उनके खिलाफ कड़ी दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।”
इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए प्रशासनिक स्तर पर हरसंभव उपाय किए जाएंगे। बिना एनओसी के किसी भी संस्थान या उद्योग को संचालन की अनुमति नहीं दी जाएगी।
स्थानीय प्रशासन की जिम्मेदारी और मास्टर प्लान की जांच
डीएम वर्मा ने बताया कि गौतम बुद्ध नगर में अथॉरिटी द्वारा मास्टर प्लान और लेआउट के अनुसार ही भवनों और उद्योगों का संचालन किया जाना चाहिए। यदि किसी संस्थान ने स्वीकृत नक्शे का उल्लंघन किया है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
इसके लिए स्थानीय प्रशासन ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे नियमित रूप से क्षेत्र का निरीक्षण करें और यह सुनिश्चित करें कि सभी नियमों का पालन हो रहा है।
फायर डिपार्टमेंट की भूमिका
डीएम वर्मा ने कहा कि फायर डिपार्टमेंट को भी इस घटना के संबंध में विस्तृत रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया है। उन्होंने कहा,
“हम सभी इस तरह की बिल्डिंग्स का ऑडिट कराएंगे, ताकि सही तस्वीर सामने आ सके। यदि कोई भी संस्थान फायर सेफ्टी नियमों का पालन नहीं कर रहा है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।”
दंडात्मक कार्रवाई और निर्देश
घटना के बाद प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि नियमों का उल्लंघन करने वाले संस्थानों को बख्शा नहीं जाएगा। डीएम ने कहा,
“यदि कहीं भी बिना एनओसी के कोई संस्थान संचालित हो रहा है, तो उसे तुरंत बंद किया जाएगा और कानूनी कार्रवाई की जाएगी।”
इसके अलावा, जिलाधिकारी ने आम जनता और संस्थानों को भी जागरूक करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के हादसों को रोकने के लिए सभी को जिम्मेदारी से काम करना होगा।
स्थानीय प्रतिक्रिया
घटना के बाद स्थानीय निवासियों और सामाजिक संगठनों ने सुरक्षा उपायों की लापरवाही को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। लोगों ने प्रशासन से अपील की है कि इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए कठोर कदम उठाए जाएं।
एक स्थानीय निवासी ने कहा,
“यह घटना बेहद दुखद है। प्रशासन को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इस प्रकार की घटनाएं दोबारा न हों। सभी संस्थानों में फायर सेफ्टी उपकरण और प्रक्रियाएं अनिवार्य रूप से लागू की जानी चाहिए।”
आगे की योजना
इस घटना से सबक लेते हुए प्रशासन ने घोषणा की है कि औद्योगिक और संस्थानिक भवनों का नियमित निरीक्षण किया जाएगा। इसके तहत:
1. फायर सेफ्टी ऑडिट: सभी संस्थानों और उद्योगों का फायर सेफ्टी ऑडिट किया जाएगा।
2. एनओसी की जांच: एनओसी और अन्य लाइसेंसों की वैधता सुनिश्चित की जाएगी।
3. सख्त कार्रवाई: नियमों का उल्लंघन करने वाले संस्थानों पर जुर्माना और कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
ग्रेटर नोएडा की यह घटना सुरक्षा मानकों की अनदेखी का स्पष्ट उदाहरण है। तीन निर्दोष मजदूरों की मौत ने इस बात की ओर इशारा किया है कि फायर सेफ्टी और अन्य आवश्यक प्रावधानों को गंभीरता से लागू करना कितना जरूरी है।
जिलाधिकारी मनीष वर्मा द्वारा उठाए गए कदम और जांच समिति की सिफारिशें इस दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल हैं। यदि प्रशासन इन उपायों को प्रभावी ढंग से लागू करता है, तो इस प्रकार की घटनाओं को भविष्य में रोका जा सकता है।
इस घटना ने सभी संस्थानों को चेतावनी दी है कि सुरक्षा मानकों का पालन करना न केवल कानूनी, बल्कि नैतिक जिम्मेदारी भी है। समाज और प्रशासन को मिलकर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कार्यस्थलों पर इस प्रकार की त्रासदी दोबारा न हो।