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*ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पर किसान महापंचायत: आंदोलन निर्णायक चरण में*

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पर सोमवार को संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में 10 किसान संगठनों ने अपनी मांगों को लेकर जोरदार प्रदर्शन किया। अलग-अलग जत्थों में किसान ट्रैक्टर-ट्रॉली और डीजे की धुन पर प्राधिकरण पहुंचे। किसानों के इस महापड़ाव में महिलाओं ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। यह आंदोलन अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुका है और इसे लंबे समय तक जारी रखने की योजना बनाई जा रही है।

महापंचायत में किसानों का उत्साह

इस महापंचायत में किसान नेता राकेश टिकैत ने भाग लिया और किसानों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण और सरकार किसानों की बात सुनने को तैयार नहीं हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार और प्राधिकरण ने किसानों के संगठनों को बांटने की कोशिश की, लेकिन अब सभी संगठन एकजुट होकर अपनी मांगों को लेकर डटे हुए हैं। टिकैत ने कहा, “अगर सरकार और प्राधिकरण किसानों की ताकत देखना चाहते हैं, तो हमें अपनी ताकत दिखानी होगी। जब तक किसान यहां टिके रहेंगे, उनकी मांगों को पूरा किए बिना कोई समाधान नहीं निकलेगा।”

महापंचायत अनिश्चितकालीन महापड़ाव में तब्दील

किसान नेता रूपेश वर्मा ने कहा कि यह आंदोलन अब निर्णायक चरण में पहुंच चुका है। उन्होंने बताया कि संयुक्त किसान मोर्चा के फैसले के अनुसार, यह महापड़ाव 27 नवंबर तक ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पर जारी रहेगा। इसके बाद 28 नवंबर से 1 दिसंबर तक आंदोलन यमुना प्राधिकरण में चलेगा। आंदोलन का अंतिम चरण 2 दिसंबर को संसद सत्र के दौरान दिल्ली कूच के रूप में होगा।

किसानों की प्रमुख मांगें

किसानों ने पांच सूत्रीय मांगों को लेकर प्राधिकरण के समक्ष महापंचायत की है। इन मांगों में शामिल हैं:

1. पुराने भूमि अधिग्रहण कानून के तहत प्रभावित किसानों को 10% प्लॉट और 64.7% बढ़ा हुआ मुआवजा: किसानों का कहना है कि पुराने भूमि अधिग्रहण कानून के तहत अधिग्रहित जमीन के बदले पर्याप्त मुआवजा और प्लॉट दिया जाए।

2. 1 जनवरी 2014 के बाद अधिग्रहित भूमि पर बाजार दर का चार गुना मुआवजा और 20% प्लॉट: किसानों की मांग है कि 2014 के बाद जिनकी जमीन ली गई है, उन्हें बाजार दर पर उचित मुआवजा दिया जाए।

3. भूमिधर और भूमिहीन किसानों के बच्चों को रोजगार और पुनर्वास लाभ: किसानों का कहना है कि उनके बच्चों को रोजगार और पुनर्वास योजनाओं का लाभ दिया जाए।

4. हाई पावर कमेटी की सिफारिशों पर सरकारी आदेश जारी करना: किसानों की मांग है कि हाई पावर कमेटी द्वारा पास किए गए मुद्दों पर जल्द सरकारी आदेश लागू किए जाएं।

5. आबादी क्षेत्र का उचित निस्तारण: आबादी वाले क्षेत्रों को लेकर किसानों ने प्राधिकरण से उचित समाधान की मांग की है।

गांव-गांव में महापंचायत का प्रचार

आधा दर्जन से अधिक किसान संगठन इस महापंचायत की योजना बनाने में कई महीनों से सक्रिय हैं। उन्होंने गांव-गांव जाकर लोगों को इस महापंचायत में शामिल होने के लिए प्रेरित किया। इस आयोजन के जरिए किसानों ने अपनी एकजुटता और ताकत का प्रदर्शन किया।

महिलाओं की भागीदारी

महापंचायत में महिलाओं की भागीदारी ने आंदोलन को और मजबूत किया। महिलाएं ट्रैक्टर-ट्रॉली में बैठकर प्राधिकरण पहुंचीं और डीजे की धुन पर किसान संघर्ष का समर्थन किया। महिलाओं ने कहा कि वे अपने अधिकारों और जमीन की रक्षा के लिए हमेशा आगे रहेंगी।

प्राधिकरण पर दबाव बनाने की रणनीति

किसानों ने स्पष्ट कर दिया है कि उनकी मांगें पूरी होने तक वे पीछे नहीं हटेंगे। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों को अनसुना किया गया, तो आंदोलन का दायरा और बढ़ाया जाएगा। महापंचायत को अनिश्चितकालीन महापड़ाव में बदलने के निर्णय ने प्रशासन और प्राधिकरण पर दबाव बना दिया है।

आंदोलन का राष्ट्रीय स्तर पर असर

संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में हो रहे इस आंदोलन ने राष्ट्रीय स्तर पर किसानों के संघर्ष को एक नई दिशा दी है। महापंचायत के दौरान किसानों ने एक बार फिर सरकार और प्राधिकरण के खिलाफ अपनी नाराजगी जताई और अपनी मांगों के प्रति अडिग रहने का संकल्प लिया।

आगे की योजना

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पर 27 नवंबर तक महापड़ाव जारी रहेगा। इसके बाद आंदोलन 28 नवंबर से यमुना प्राधिकरण पर केंद्रित होगा। 2 दिसंबर को संसद सत्र के दौरान दिल्ली कूच के साथ इस आंदोलन का तीसरा और अंतिम चरण आयोजित किया जाएगा।

किसानों का यह आंदोलन अब निर्णायक मोड़ पर है। एकजुटता और समर्पण के साथ, किसान अपनी मांगों को लेकर संघर्ष कर रहे हैं। यह आंदोलन न केवल प्राधिकरण और सरकार के लिए चेतावनी है, बल्कि यह किसानों के अधिकारों की रक्षा के लिए एक प्रेरणा भी है।

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