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*गौतम बुद्ध नगर में बढ़ते प्रदूषण के चलते स्कूलों की छुट्टियां बढ़ी*

गौतम बुद्ध नगर, 24 नवंबर: गौतम बुद्ध नगर जिले में इन दिनों वायु प्रदूषण के स्तर में गंभीर वृद्धि देखी जा रही है, जिसके कारण जिला प्रशासन ने स्कूलों में छुट्टियों की अवधि को बढ़ा दिया है। अब, कक्षा नर्सरी से लेकर 12वीं तक के छात्रों को 25 नवंबर तक छुट्टियां मिलेंगी। यह निर्णय इस क्षेत्र में बढ़ते प्रदूषण और वायु गुणवत्ता के खतरनाक स्तर को देखते हुए लिया गया है, ताकि बच्चों की सेहत पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव से बचा जा सके।

वायु प्रदूषण का खतरनाक स्तर:

गौतम बुद्ध नगर का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) इन दिनों “गंभीर” श्रेणी में है, जोकि स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक होता है। पिछले कुछ दिनों से क्षेत्र में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है और इसने आम लोगों के जीवन को प्रभावित करना शुरू कर दिया है। विशेष रूप से बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह स्थिति और भी खतरनाक है, क्योंकि उनकी शारीरिक सहनशक्ति वायु प्रदूषण के प्रतिकूल प्रभावों से उतनी प्रभावित नहीं होती। विशेषज्ञों के मुताबिक, वायु प्रदूषण में अत्यधिक वृद्धि का मुख्य कारण पराली जलाने, औद्योगिक उत्सर्जन और वाहनों से निकलने वाले धुएं के रूप में सामने आया है।

पराली जलाने का कार्य उत्तर भारत के विभिन्न हिस्सों में, विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा और पश्चिम उत्तर प्रदेश में बढ़ गया है, जिससे दिल्ली-एनसीआर और गौतम बुद्ध नगर जैसे इलाकों में वायु गुणवत्ता लगातार बिगड़ रही है। इसके अतिरिक्त, बड़े उद्योगों से निकलने वाले प्रदूषण और वाहनों की बढ़ती संख्या ने स्थिति को और विकट बना दिया है।

स्वास्थ्य पर प्रभाव:

जिले में वायु प्रदूषण के खतरनाक स्तर के कारण लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ा है। बच्चों में अस्थमा, खांसी, गले में खराश, आंखों में जलन और सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्याएं आम हो गई हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदूषण का अधिक प्रभाव बच्चों के श्वसन तंत्र पर पड़ता है, और इससे उनकी लंबी उम्र पर भी असर हो सकता है। विशेष रूप से, छोटे बच्चों की शारीरिक संरचना और इम्यून सिस्टम इस प्रकार के प्रदूषण को सहन नहीं कर पाते, जिससे उनकी सेहत पर प्रतिकूल असर पड़ता है।

स्कूलों की छुट्टियां बढ़ाने का निर्णय:

गौतम बुद्ध नगर जिला प्रशासन ने बच्चों की सेहत को ध्यान में रखते हुए स्कूलों की छुट्टियों की अवधि बढ़ाने का निर्णय लिया है। पहले 23 नवंबर से 25 नवंबर तक स्कूल बंद करने का आदेश दिया गया था, ताकि बच्चों को प्रदूषण से बचाया जा सके। इस फैसले से अभिभावकों को राहत मिली है, क्योंकि बच्चों के बाहर खेलने या स्कूल जाने से स्वास्थ्य संबंधित जोखिम बढ़ने की संभावना थी। जिला अधिकारी ने इस संबंध में एक आदेश जारी करते हुए यह भी कहा कि अब सभी स्कूलों में ऑनलाइन कक्षाएं जारी रहेंगी, ताकि छात्रों की शिक्षा प्रभावित न हो।

जिला प्रशासन ने इस कदम को बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता देने के रूप में देखा है। प्रशासन का मानना है कि जब तक प्रदूषण के स्तर में कमी नहीं आती, तब तक बच्चों को घर में रहकर सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए।

ऑनलाइन कक्षाओं की व्यवस्था:

चिंता के बावजूद बच्चों की शिक्षा में कोई रुकावट न हो, इसके लिए प्रशासन ने ऑनलाइन शिक्षा को प्राथमिकता दी है। सभी सरकारी और निजी स्कूलों को निर्देशित किया गया है कि वे अपने छात्रों के लिए ऑनलाइन कक्षाओं की व्यवस्था करें। इससे न केवल छात्रों को अपनी पढ़ाई जारी रखने का मौका मिलेगा, बल्कि इससे अभिभावकों को भी राहत मिलेगी क्योंकि उन्हें अपने बच्चों को स्कूल भेजने की आवश्यकता नहीं होगी। इसके अलावा, स्कूल प्रबंधन ने अपने शिक्षकों को ऑनलाइन माध्यम से पाठ्यक्रम पूरा करने के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश दिए हैं।

 

स्कूलों के अधिकारियों का कहना है कि वे बच्चों के स्वास्थ्य और शिक्षा दोनों को संतुलित रखने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से छात्र अपनी पढ़ाई में पिछड़ेंगे नहीं, और इस समस्या का समाधान भी मिल जाएगा।

अभिभावकों और नागरिकों का प्रतिक्रिया:

इस निर्णय का स्वागत करते हुए अभिभावकों ने कहा कि बच्चों की सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण है, और प्रशासन का यह कदम सही दिशा में है। कई अभिभावकों ने यह भी कहा कि वायु प्रदूषण के कारण बच्चे घर से बाहर नहीं निकल सकते, और ऐसे में स्कूलों का बंद होना एक समझदारी भरा कदम है। कुछ अभिभावकों का कहना था कि वे पहले ही बच्चों को बाहर खेलने से रोक रहे थे, और अब स्कूलों की छुट्टियां बढ़ जाने से वे और भी निश्चिंत हो गए हैं।

वहीं, नागरिकों ने भी प्रदूषण को नियंत्रित करने में प्रशासन से अधिक प्रयास की उम्मीद जताई है। उन्होंने कहा कि प्रदूषण की समस्या केवल स्कूलों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे समुदाय के लिए एक गंभीर चिंता का विषय बन चुकी है। साथ ही, उन्होंने गैर-जरूरी वाहनों के उपयोग में कमी और औद्योगिक उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिए सख्त कदम उठाने की आवश्यकता जताई है।

प्रशासन की अपील:

जिला प्रशासन ने नागरिकों से अपील की है कि वे प्रदूषण नियंत्रण में मदद करें और गैर-जरूरी वाहनों का इस्तेमाल कम करें। इसके अतिरिक्त, प्रशासन ने वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए कई उपायों की घोषणा की है, जैसे कि पर्यावरण की सुरक्षा के लिए जागरूकता अभियान, हरित क्षेत्र बढ़ाना, और वाहनों से निकलने वाले प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कदम उठाना।

इसके साथ ही, जिला प्रशासन ने यह भी घोषणा की है कि वायु गुणवत्ता में सुधार होने तक वे अन्य उपायों को लागू करेंगे, जैसे कि स्कूलों की छुट्टियां बढ़ाना और प्रदूषण के स्रोतों पर नजर रखना। विशेषज्ञों के अनुसार, यदि इस समस्या का समुचित समाधान नहीं किया गया, तो आने वाले समय में इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

गौतम बुद्ध नगर में प्रदूषण के बढ़ते स्तर ने प्रशासन को स्कूलों की छुट्टियां बढ़ाने का निर्णय लेने के लिए मजबूर किया है। यह कदम बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है, और प्रशासन की कोशिश है कि प्रदूषण के खतरनाक प्रभावों से बचाव किया जा सके। हालांकि, प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए और भी प्रयासों की आवश्यकता है, ताकि यह समस्या भविष्य में न बढ़े और नागरिकों की सेहत पर कोई और प्रतिकूल असर न पड़े।

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