नोएडा प्राधिकरण में भ्रष्टाचार के गंभीर मामले का पर्दाफाश हुआ है। इस घोटाले ने प्रशासनिक तंत्र और परियोजनाओं की पारदर्शिता पर बड़े सवाल खड़े किए हैं। करोड़ों रुपये की वित्तीय अनियमितताओं के उजागर होने के बाद प्राधिकरण ने कड़े कदम उठाए हैं। इस कार्रवाई का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि भ्रष्टाचार को किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई होगी।
घोटाले का खुलासा कैसे हुआ?
नोएडा प्राधिकरण के अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी (एसीईओ) संजय खत्री ने सेक्टर-142 से 144 तक नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे के समानांतर पथ पर चल रही विद्युत परियोजना का निरीक्षण किया। इस परियोजना के तहत 1 करोड़ 40 लाख रुपये की लागत से नई विद्युत केबल बिछाने का कार्य हो रहा था। जांच में कई गंभीर अनियमितताएं सामने आईं।
1. कार्य योजना की कमी:
परियोजना के लिए कोई लेआउट प्लान एग्रीमेंट में शामिल नहीं किया गया था। इस प्रकार, कार्य की निगरानी और गुणवत्ता सुनिश्चित करने का कोई ठोस आधार नहीं था।
2. स्टोर का अभाव:
कार्य स्थल पर स्टोर स्थापित नहीं किया गया था, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि सामग्री प्रबंधन और कार्य निष्पादन में बड़े पैमाने पर लापरवाही बरती गई।
3. भुगतान में अनियमितता:
परियोजना का 45% भुगतान पहले ही किया जा चुका था, जबकि कार्य प्रगति मात्र 40% थी। यह सीधा संकेत देता है कि बिना कार्य पूरा किए ही कंपनी को भुगतान कर दिया गया।
4. विद्युत सामग्री की अधिक खरीद:
परियोजना के लिए आवश्यकता से अधिक विद्युत केबल खरीदी गई, और इसकी लागत वास्तविक से ज्यादा बताई गई। इस गड़बड़ी से नोएडा प्राधिकरण को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ।
जांच और कार्रवाई की प्रक्रिया
जांच के दौरान स्पष्ट हुआ कि अधिकारियों और ठेकेदार कंपनी ने मिलीभगत करके इस भ्रष्टाचार को अंजाम दिया। सीईओ डॉ. लोकेश एम ने तुरंत मामले को गंभीरता से लिया और जिम्मेदारों के खिलाफ कड़े कदम उठाने के निर्देश दिए।
जूनियर इंजीनियर बर्खास्त:
जांच में प्रथम दृष्टया दोषी पाए गए जूनियर इंजीनियर अनीक सिंह को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया गया।
वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ सिफारिश:
प्रबंधक शिव शक्ति जायसवाल और वरिष्ठ प्रबंधक प्रदीप कुमार को भी इस घोटाले में लिप्त पाया गया। उनके निलंबन की सिफारिश शासन को भेजी गई है।
2023-24 की परियोजना में अनियमितताएं
यह परियोजना वित्तीय वर्ष 2023-24 के अंतर्गत थी। इसमें 1 करोड़ 40 लाख रुपये की लागत से नई विद्युत केबल बिछाने का कार्य प्रस्तावित था। लेकिन, अधिकारियों और कंपनी की मिलीभगत से परियोजना में बड़े पैमाने पर घोटाला किया गया।
भुगतान प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी थी।
सामग्री की खरीद और उपयोग में गड़बड़ी की गई।
कार्य योजना और गुणवत्ता नियंत्रण जैसे बुनियादी पहलुओं को नजरअंदाज किया गया।
भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीति
इस घोटाले के बाद नोएडा प्राधिकरण ने भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाने की बात दोहराई है। सीईओ डॉ. लोकेश एम ने इसे प्राधिकरण की साख पर गंभीर आघात बताया और स्पष्ट किया कि भविष्य में इस प्रकार की गड़बड़ियों को सख्ती से रोका जाएगा।
कठोर चेतावनी:
सीईओ ने सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को चेतावनी दी कि इस तरह की अनियमितताओं पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
भविष्य की रणनीति:
प्राधिकरण अब परियोजनाओं की निगरानी के लिए और अधिक पारदर्शी और प्रभावी प्रणाली लागू करने पर विचार कर रहा है। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि किसी भी परियोजना में कोई अनियमितता न हो।
नागरिकों और प्राधिकरण की साख
नोएडा प्राधिकरण पर नागरिकों का भरोसा बनाए रखना बेहद महत्वपूर्ण है। इस घोटाले ने प्राधिकरण की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं, लेकिन सीईओ द्वारा उठाए गए कड़े कदम यह दर्शाते हैं कि प्राधिकरण अपने दायित्वों के प्रति गंभीर है।
यह कार्रवाई न केवल भ्रष्टाचारियों के लिए सबक है, बल्कि यह संकेत भी है कि प्राधिकरण की साख को ठेस पहुंचाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई जारी रहेगी। इस मामले ने यह भी स्पष्ट किया है कि पारदर्शिता और ईमानदारी सुनिश्चित करने के लिए सख्त निगरानी प्रणाली की जरूरत है।
नोएडा प्राधिकरण की यह कार्रवाई एक मिसाल के रूप में देखी जा रही है। यह संदेश देती है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति अपनाने से ही सुशासन और विकास की दिशा में आगे बढ़ा जा सकता है।