महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 के परिणाम ने राज्य की राजनीति को एक नया मोड़ दिया है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने रिकॉर्ड जीत हासिल की है, जबकि कांग्रेस का प्रदर्शन अब तक के सबसे खराब स्तर पर पहुंचा है। इस चुनाव में ‘गद्दार’ कहे जा रहे शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट के नेता एकनाथ शिंदे और राकांपा के वरिष्ठ नेता अजित पवार ने अपनी नेतृत्व क्षमता साबित कर दी है और यह साबित कर दिया है कि वे राज्य की राजनीति के असली उत्तराधिकारी हैं।
बीजेपी का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन
बीजेपी ने इस चुनाव में ऐतिहासिक जीत दर्ज की है। पार्टी ने 288 सदस्यीय विधानसभा में 160 सीटों के आसपास अपना कब्जा जमाया, जो कि पिछली बार से भी अधिक था। बीजेपी के नेतृत्व में नरेन्द्र मोदी के विजन और महात्मा गांधी की जयंती पर हर चुनावी मुद्दे को हर श्रेणी के वोटर तक पहुंचाने का काम किया गया। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में महाराष्ट्र में बीजेपी का कद लगातार बढ़ रहा है। पार्टी ने अपने चाणक्य रणनीतिकार अमित शाह के दिशा-निर्देशन में राज्य के विभिन्न वर्गों, खासकर मराठा, ओबीसी, और दलित वोटरों के बीच अपनी पकड़ बनाई।
कांग्रेस का अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन
कांग्रेस पार्टी के लिए यह चुनाव बुरा सपना साबित हुआ। कांग्रेस ने महज 40-45 सीटों पर ही संतुष्ट रहकर चुनावी इतिहास का सबसे खराब प्रदर्शन किया। 2014 और 2019 में कांग्रेस ने 40 सीटों से अधिक का आंकड़ा छुआ था, लेकिन इस बार पार्टी के वोट बैंक में भारी गिरावट आई। कांग्रेस की परंपरागत जड़े मुंबई, पुणे, और कोल्हापुर जैसे क्षेत्रों में भी उसे कोई खास सफलता नहीं मिल सकी। इस चुनाव के परिणाम ने कांग्रेस के भीतर नेतृत्व संकट को और भी गहरा किया है।
कांग्रेस के खराब प्रदर्शन को लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेता और प्रदेश अध्यक्ष ने जिम्मेदारी लेते हुए परिणामों को स्वीकार किया, लेकिन इस हार के साथ कांग्रेस को यह सवाल जरूर करना पड़ेगा कि क्या पार्टी को अपनी रणनीति, चुनावी कार्यशैली और नेतृत्व में बदलाव की जरूरत है।
एकनाथ शिंदे और अजित पवार का राजनीतिक कद
शिवसेना के गद्दार कहे जाने वाले एकनाथ शिंदे और राकांपा के ‘भितरघातियों’ में शुमार अजित पवार ने इस चुनाव में यह साबित कर दिया कि वे राज्य की राजनीति के असली उत्तराधिकारी हैं। एकनाथ शिंदे, जो पहले उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना के मुख्यधारा के नेता थे, ने अपनी पार्टी को विभाजित कर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के साथ मिलकर सरकार बनाई थी। शिंदे की पार्टी ने इस चुनाव में शानदार प्रदर्शन किया और उनके नेतृत्व में शिवसेना के ‘शिंदे गुट’ ने 50-55 सीटें जीत लीं।
वहीं, अजित पवार ने राकांपा में ‘भितरघात’ करते हुए एनसीपी प्रमुख शरद पवार को चौंका दिया और भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन किया। अजित पवार ने अपनी राजनीतिक चतुराई से न केवल एनसीपी के नेताओं को अपने साथ जोड़ा, बल्कि राज्य के किसानों और छोटे कारोबारियों से भी समर्थन प्राप्त किया। अजित पवार के इस कदम ने उन्हें राज्य के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक बना दिया।
महा विकास आघाडी का पतन
महा विकास आघाड़ी (MVA), जिसमें शिवसेना (उद्धव ठाकरे), कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) शामिल थीं, का चुनावी गठबंधन इस बार बुरी तरह से असफल साबित हुआ। उद्धव ठाकरे ने अपनी पार्टी को एकजुट रखने के लिए कड़ी मेहनत की थी, लेकिन उनकी रणनीति और नेतृत्व में कमजोरियों के कारण पार्टी की हार हुई। उद्धव ठाकरे की शिवसेना और शरद पवार की राकांपा को इस चुनाव में मिलीं सीटों की संख्या ने यह स्पष्ट कर दिया कि ‘महा विकास आघाड़ी’ की राजनीति अब महाराष्ट्र में अपनी जड़ें खो चुकी है।
MVA के घटक दलों ने इस चुनाव में एकजुट होकर प्रचार तो किया था, लेकिन उनका मतदाता आधार अपेक्षाकृत कमजोर हो गया था। कांग्रेस और राकांपा के वरिष्ठ नेताओं की आपसी फूट और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में भ्रम ने उनकी रणनीति को कमजोर कर दिया था।
बीजेपी और शिंदे गुट का भविष्य
अब यह सवाल उठता है कि महाराष्ट्र में बीजेपी और शिंदे गुट का भविष्य क्या होगा। एकनाथ शिंदे ने पहले ही अपनी पार्टी को बीजेपी के साथ गठबंधन के रूप में स्थापित कर दिया है। बीजेपी के साथ उनके अच्छे रिश्ते यह दर्शाते हैं कि शिंदे को बीजेपी ने अपना सहयोगी बनाने के लिए पूरी तरह से तैयार किया है।
हालांकि, शिंदे का भविष्य उनके साथियों और स्थानीय नेताओं की पसंद पर निर्भर करेगा। यदि शिंदे अपने विरोधियों को मनाने में सफल होते हैं, तो उनका राजनीतिक भविष्य काफी मजबूत हो सकता है। दूसरी ओर, अजित पवार के नेतृत्व में राकांपा का जो नया मोर्चा बन रहा है, वह भी महाराष्ट्र की राजनीति में आने वाले समय में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के परिणाम ने यह स्पष्ट कर दिया कि बीजेपी का राज्य में राजनीतिक प्रभुत्व अब और मजबूत हो चुका है। कांग्रेस की लगातार घटती ताकत और महा विकास आघाड़ी का गिरता हुआ ग्राफ यह संकेत करता है कि महाराष्ट्र में राजनीतिक परिवर्तन की प्रक्रिया अब पूरी तरह से बीजेपी और शिंदे गुट की ओर मुड़ चुकी है। वहीं, अजित पवार की एंट्री ने राज्य की राजनीति में एक नई दिशा की शुरुआत की है। आने वाले वर्षों में महाराष्ट्र की राजनीति में यह बदलाव और दिलचस्प होने की संभावना है।