ग्रेटर नोएडा के थाना बिसरख पुलिस ने हाल ही में एक बड़े गिरोह का पर्दाफाश किया है, जो फर्जी रेट एग्रीमेंट और दस्तावेजों के आधार पर पासपोर्ट बनवाने का काम करता था। यह गिरोह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन चुका था और पुलिस ने इसकी जानकारी मिलने के बाद त्वरित कार्रवाई करते हुए चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने इस ऑपरेशन को डीसीपी सेंट्रल नोएडा, शक्ति अवस्थी की अगुवाई में सफलतापूर्वक अंजाम दिया। पुलिस ने आरोपियों के पास से भारी मात्रा में इलेक्ट्रिक सामान और फर्जी नोटरी के दस्तावेज भी बरामद किए हैं।
गिरोह की कार्यप्रणाली
पुलिस द्वारा किए गए खुलासे के अनुसार, यह गिरोह फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से पासपोर्ट बनाने का काम करता था। गिरोह के सदस्य मकान मालिकों की रजामंदी के बिना ही रेट एग्रीमेंट तैयार करते थे, जिसे फर्जी नोटरी द्वारा सत्यापित किया जाता था। इन दस्तावेजों का इस्तेमाल पासपोर्ट बनाने के लिए किया जाता था। आरोपी न केवल रेट एग्रीमेंट तैयार करते थे, बल्कि पासपोर्ट ऑफिस के कुछ कर्मचारियों की मदद से इस प्रक्रिया को अंजाम देते थे। इस गिरोह का सरगना सचिन जौहरी बताया जा रहा है, जिसे पासपोर्ट बनाने के लिए आवश्यक दस्तावेज जुटाने और पूरे नेटवर्क को नियंत्रित करने का काम सौंपा गया था।
इसके बाद, गिरोह अपने जाल में फंसे हुए लोगों से पैसे लेता था और उनके फर्जी पासपोर्ट तैयार कर देता था। इस गिरोह के पास से पुलिस ने 500 से अधिक पासपोर्ट बनाने के साक्ष्य प्राप्त किए हैं, जो इस बात की पुष्टि करते हैं कि इस अपराध का दायरा कितना बड़ा था।
गिरोह की जालसाजी और धोखाधड़ी
पुलिस के मुताबिक, आरोपी प्रति पासपोर्ट 20,000 रुपये तक की वसूली करते थे। उनका यह घोटाला इतना सफाई से चल रहा था कि वे महज आठ दिनों के अंदर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर पासपोर्ट तैयार कर देते थे। इस प्रक्रिया के दौरान, जब तक पासपोर्ट की पुलिस वेरिफिकेशन होती थी, तब तक आरोपी पासपोर्ट धारक को देश छोड़ने का समय दे देते थे। इस तरह से ये लोग बहुत ही बारीकी से कानून को धोखा दे रहे थे और राष्ट्रीय सुरक्षा को गंभीर खतरे में डाल रहे थे।
आरोपियों ने एक मोबाइल ऐप का इस्तेमाल करते हुए दूर-दराज के लोगों को अपनी ठगी का शिकार बनाया था। वे इस ऐप के माध्यम से अपने ग्राहकों से संपर्क करते थे और उन्हें फर्जी दस्तावेजों के साथ पासपोर्ट बनवाने का लालच देते थे। यह गिरोह आमतौर पर उन लोगों को निशाना बनाता था जो पासपोर्ट प्राप्त करने के लिए ज्यादा समय और प्रक्रिया से गुजरना नहीं चाहते थे। इस तरह के लोग आसानी से इनकी ठगी का शिकार बन जाते थे।
गिरफ्तार किए गए आरोपी
पुलिस ने इस मामले में कई आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिनमें मुख्य आरोपी सचिन जौहरी, विनोद कुमार, संजीद, संदीप कुमार, वीरेंद्र कुमार गर्ग, वीरेंद्र सक्सेना और दुर्गेश कुमार शामिल हैं। इन सभी आरोपियों पर विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है और उन्हें न्यायालय में पेश किया गया है। पुलिस ने इनके पास से कई आपत्तिजनक दस्तावेज भी बरामद किए हैं, जो इस गिरोह की गतिविधियों को स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं।
डीसीपी शक्ति अवस्थी का बयान
डीसीपी सेंट्रल नोएडा, शक्ति अवस्थी ने इस घटना की जानकारी देते हुए बताया कि यह गिरोह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न कर रहा था। उन्होंने कहा, “यह गिरोह पैसे के लालच में सैकड़ों लोगों के दस्तावेजों का गलत इस्तेमाल कर रहा था। हम इन आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर रहे हैं और इनकी अन्य नेटवर्क को भी उजागर करने की कोशिश करेंगे। यह घटना इस बात का स्पष्ट उदाहरण है कि कैसे लोग कानून की छांव में चोरी-छिपे गतिविधियां चला रहे हैं।”
उन्होंने कहा कि पुलिस अब उन सभी लोगों से संपर्क कर रही है जिन्होंने इनसे पासपोर्ट बनवाए थे, ताकि उन्हें कानून की जानकारी दी जा सके और उनका वेरिफिकेशन किया जा सके। इसके साथ ही, पुलिस यह भी सुनिश्चित कर रही है कि इस गिरोह के बाकी सदस्य भी पकड़े जाएं और इस अपराध का पूरा खुलासा हो सके।
राष्ट्रीय सुरक्षा पर खतरा
यह गिरोह जिस तरीके से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर पासपोर्ट बनवाने का काम करता था, वह केवल धोखाधड़ी नहीं बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी एक गंभीर खतरा था। ऐसे पासपोर्ट के माध्यम से आपराधिक गतिविधियों में शामिल लोग आसानी से देश से बाहर जा सकते थे और विभिन्न अवैध कामों में लिप्त हो सकते थे। इस तरह की जालसाजी से न केवल सरकार की प्रणाली को नुकसान होता है, बल्कि यह देश की सुरक्षा को भी खतरे में डालता है।
पुलिस ने इस गिरोह के पकड़े जाने के बाद अन्य ऐसे गिरोहों पर भी नज़र रखना शुरू कर दिया है, जो इसी तरह की गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं। इसके साथ ही, नागरिकों को भी जागरूक किया जा रहा है कि वे पासपोर्ट बनवाने के लिए किसी भी फर्जी या अवैध रास्ते का इस्तेमाल न करें। अगर कोई व्यक्ति किसी तरह के धोखाधड़ी का शिकार होता है, तो उसे तुरंत पुलिस से संपर्क करना चाहिए।
इस घटना ने यह साबित कर दिया है कि सरकारी विभागों और सुरक्षा एजेंसियों को और अधिक सतर्क रहना होगा, खासकर उन लोगों के खिलाफ जो किसी न किसी रूप में राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता कर रहे हैं। ऐसे गिरोहों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए पुलिस और प्रशासन को निरंतर प्रयास करते रहना होगा ताकि भविष्य में इस प्रकार की अवैध गतिविधियों पर काबू पाया जा सके। पुलिस द्वारा की गई त्वरित कार्रवाई और गिरोह के प्रमुख आरोपियों की गिरफ्तारी से यह साफ हो गया है कि अब इस तरह के जालसाजों के लिए कोई जगह नहीं बचने वाली।