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*नोएडा में एक्वालाइन मेट्रो का विस्तार, कैबिनेट से मिली मंजूरी*

नोएडा और ग्रेटर नोएडा के बीच यातायात व्यवस्था को और अधिक सुविधाजनक बनाने के लिए एक्वालाइन मेट्रो का विस्तार किया जाएगा। शुक्रवार को राज्य कैबिनेट ने इस परियोजना को मंजूरी दे दी है। इसके तहत सेक्टर-51 से लेकर नॉलेज पार्क-5 तक मेट्रो लाइन का ट्रैक बनेगा, जो नोएडा से ग्रेटर नोएडा के बीच यातायात की सुविधा को और बेहतर बनाएगा। इस नए मेट्रो विस्तार से 17.435 किलोमीटर लंबा ट्रैक तैयार किया जाएगा और इसमें 11 स्टेशन होंगे। इस परियोजना की कुल लागत करीब 2991 करोड़ रुपए तय की गई है, जिसमें केंद्र और राज्य सरकार की साझेदारी होगी।

एक्वालाइन मेट्रो के विस्तार का उद्देश्य

एक्वालाइन मेट्रो का यह विस्तार नोएडा के सेक्टर-51 से शुरू होकर ग्रेटर नोएडा के नॉलेज पार्क-5 तक जाएगा। इस विस्तार का मुख्य उद्देश्य ग्रेटर नोएडा में यातायात को सुगम और तेज़ बनाना है, जिससे स्थानीय लोगों को विशेष लाभ मिलेगा। इसके अतिरिक्त, इस मेट्रो मार्ग से 130 मीटर रोड पर लगने वाले भारी ट्रैफिक जाम में भी कमी आएगी, जो रोज़ाना यात्रियों के लिए एक बड़ी समस्या बनकर उभरा था।

वित्तीय पहलू और परियोजना का विस्तार

इस मेट्रो परियोजना की लागत को लेकर वित्तमंत्री सुरेश खन्ना ने शुक्रवार को लोकभवन में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि केंद्र और राज्य सरकार इस परियोजना पर 50-50 प्रतिशत की साझेदारी करेंगी। इसमें केंद्र सरकार द्वारा 394 करोड़ रुपए और राज्य सरकार द्वारा 394 करोड़ रुपए का योगदान होगा। राज्य सरकार की ओर से 40 प्रतिशत धनराशि नोएडा और 60 प्रतिशत धनराशि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण द्वारा प्रदान की जाएगी।

सांसद सुरेश खन्ना ने बताया कि पहले इस परियोजना के लिए 2197 करोड़ रुपए का अनुमानित खर्च था, लेकिन अब इसे बढ़ाकर 2991 करोड़ रुपए कर दिया गया है। इस वृद्धि का कारण परियोजना के दायरे में हुई बढ़ोतरी है, जिसमें मेट्रो ट्रैक की लंबाई भी बढ़ाई गई है। पहले इस रूट की लंबाई 14.958 किलोमीटर थी, लेकिन अब इसे बढ़ाकर 17.435 किलोमीटर कर दिया गया है।

नई मेट्रो लाइन पर स्टेशन और राइडरशिप

इस मेट्रो रूट पर कुल 11 स्टेशन बनाए जाएंगे, जो यात्रियों को विभिन्न स्थानों तक पहुंचाने में मदद करेंगे। अधिकारियों के अनुसार, मेट्रो की शुरुआत में लगभग 1.25 लाख राइडरशिप का अनुमान है, जो इस मार्ग पर यात्रियों की संख्या को दर्शाता है। मेट्रो के संचालन से स्थानीय लोगों के लिए खासकर ऑफिस जाने वाले लोगों के लिए यह एक बड़ी राहत साबित होगी, क्योंकि वर्तमान में नोएडा से ग्रेटर नोएडा तक जाने के लिए सड़कों पर जाम की समस्या आम है।

मेट्रो के इस विस्तार से न केवल नोएडा और ग्रेटर नोएडा के बीच यात्रा में आसानी होगी, बल्कि इससे पर्यावरण पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि सार्वजनिक परिवहन के जरिए कारों की संख्या में कमी आएगी, जिससे प्रदूषण में भी कमी आएगी।

एक्वालाइन मेट्रो के लाभ

एक्वालाइन मेट्रो के इस विस्तार से कई महत्वपूर्ण लाभ मिलेंगे, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:

1. यातायात की सुगमता: इस मेट्रो मार्ग से नोएडा और ग्रेटर नोएडा के बीच यातायात की गति में सुधार होगा। 130 मीटर रोड पर लगने वाले भारी जाम से निजात मिलेगी और यात्री तेजी से अपने गंतव्य तक पहुंच सकेंगे।

2. समय की बचत: मेट्रो द्वारा यात्रा करने से लोग ट्रैफिक जाम के बजाय तेज़ और समय पर अपने स्थान तक पहुंच सकेंगे। इससे उन्हें समय की बचत होगी और कामकाजी लोगों के लिए यह एक बड़ी राहत होगी।

3. विकास में योगदान: इस मेट्रो लाइन का विस्तार न केवल यातायात व्यवस्था को बेहतर बनाएगा, बल्कि इससे दोनों क्षेत्रों में आर्थिक विकास को भी बढ़ावा मिलेगा। मेट्रो स्टेशन बनने से आसपास के इलाकों में शॉपिंग मॉल, हॉटल्स और अन्य व्यवसायों का विकास होगा, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।

4. पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव: मेट्रो एक पर्यावरण-अनुकूल परिवहन साधन है, जो प्रदूषण में कमी करने में मदद करेगा। अधिक से अधिक लोग मेट्रो का उपयोग करेंगे, जिससे सड़कों पर कारों की संख्या कम होगी और प्रदूषण स्तर में भी कमी आएगी।

5. नौकरी के अवसर: इस परियोजना के विस्तार से निर्माण कार्य के दौरान और बाद में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। विभिन्न स्तरों पर कामकाजी लोगों को इस प्रोजेक्ट से रोजगार मिलेगा, जो क्षेत्रीय विकास में सहायक होगा।

मेट्रो परियोजना के वित्तीय पहलू

मेट्रो परियोजना की कुल लागत करीब 2991 करोड़ रुपए है, जिसमें केंद्र और राज्य सरकार का योगदान बराबरी से रहेगा। पहले इस परियोजना के लिए अनुमानित राशि 2197 करोड़ रुपए थी, लेकिन अब इसके विस्तार के कारण इसकी लागत बढ़ाकर 2991 करोड़ रुपए कर दी गई है। इस राशि का 50 प्रतिशत केंद्र सरकार द्वारा और 50 प्रतिशत राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाएगा। राज्य सरकार के हिस्से को नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में बांटा गया है, जिसमें नोएडा प्राधिकरण 40 प्रतिशत और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण 60 प्रतिशत योगदान करेगा।

 

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