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*ग्रुप हाउसिंग सोसाइटियों में पानी की बर्बादी रोकने के लिए अल्ट्रासोनिक वाटर मीटर लगाने की योजना*

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने ग्रुप हाउसिंग सोसाइटियों में पानी की बर्बादी रोकने के लिए एक अनूठा कदम उठाया है। प्राधिकरण ने सभी सोसाइटियों में अल्ट्रासोनिक वाटर मीटर लगाने का निर्णय लिया है। इस योजना का उद्देश्य पानी के उपयोग पर सटीक निगरानी रखना और अनावश्यक बर्बादी को रोकना है। जल विभाग ने इस योजना पर काम शुरू कर दिया है और इसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू किया जा रहा है।

पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत

ग्रेटर नोएडा वेस्ट के सेक्टर-1 स्थित वेलेंसिया होम्स और सेक्टर-10 की अरिहंत सोसाइटी में पायलट प्रोजेक्ट के तहत इन वाटर मीटरों को स्थापित किया गया है। एक महीने तक इन मीटरों का ट्रायल चलेगा। यदि यह परीक्षण सफल होता है, तो प्राधिकरण इसे अन्य सोसाइटियों में भी लागू करेगा। ग्रेटर नोएडा में 300 से अधिक ग्रुप हाउसिंग सोसाइटियां हैं, जिन्हें चरणबद्ध तरीके से इस योजना के तहत कवर किया जाएगा।

अल्ट्रासोनिक वाटर मीटर की विशेषताएं

प्राधिकरण के एसीईओ आशुतोष द्विवेदी ने बताया कि ये अल्ट्रासोनिक वाटर मीटर अत्याधुनिक तकनीक से लैस हैं। इनमें निम्नलिखित विशेषताएं हैं:

1. बैटरी से संचालित: ये मीटर बैटरी से चलेंगे, जिससे किसी बाहरी बिजली स्रोत की आवश्यकता नहीं होगी।

2. सिम कार्ड सेंसर: मीटर में सिम कार्ड सेंसर लगा होगा, जो पानी के उपयोग से संबंधित रियल टाइम डेटा प्राधिकरण को भेजेगा।

3. रियल टाइम मॉनिटरिंग: इस तकनीक से पानी की खपत की निगरानी रियल टाइम में की जा सकेगी।

4. डीआरडीओ और आईआईटी चेन्नई का योगदान: ये मीटर डीआरडीओ और आईआईटी चेन्नई द्वारा तैयार किए गए हैं।

5. स्थापना: इन मीटरों को स्थापित करने का कार्य “धारा” नामक कंपनी कर रही है।

पानी की बर्बादी रोकने का उद्देश्य

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने गिरते भूजल स्तर को रोकने और पानी की बचत को बढ़ावा देने के लिए यह पहल शुरू की है। पानी की बर्बादी न केवल पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव डालती है, बल्कि यह भूजल स्तर को भी गंभीर रूप से प्रभावित करती है। अल्ट्रासोनिक वाटर मीटर के माध्यम से:

1. पानी की बचत होगी: मीटर की मदद से उपयोगकर्ता अपने पानी के खर्च को नियंत्रित कर सकेंगे।

2. सटीक बिलिंग: पानी के उपयोग के आधार पर उपभोक्ताओं को सटीक बिल प्राप्त होगा।

3. जागरूकता में वृद्धि: लोगों को पानी बचाने के प्रति जागरूक किया जाएगा।

4. भविष्य के संसाधनों की सुरक्षा: पानी की बर्बादी कम होने से भूजल स्तर को बनाए रखने में मदद मिलेगी।

सोसाइटियों के लिए योजना का महत्व

ग्रुप हाउसिंग सोसाइटियां पानी के बड़े उपभोक्ता होती हैं। अक्सर पानी की अनावश्यक बर्बादी और ओवरफ्लो जैसी समस्याएं सामने आती हैं। अल्ट्रासोनिक वाटर मीटर इन समस्याओं को हल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

1. प्रत्येक फ्लैट का अलग रिकॉर्ड: प्रत्येक फ्लैट के पानी के उपयोग का सटीक रिकॉर्ड मिलेगा।

2. सामूहिक खपत पर नियंत्रण: सोसाइटी में सामूहिक रूप से होने वाली पानी की खपत को नियंत्रित किया जा सकेगा।

3. जवाबदेही सुनिश्चित करना: पानी के बिल के साथ खपत का रियल टाइम डेटा मिलने से लोग अधिक सतर्क होंगे।

प्राधिकरण के अन्य प्रयास

पानी की बचत को बढ़ावा देने के लिए प्राधिकरण ने पहले भी कई कदम उठाए हैं। इनमें रेन वाटर हार्वेस्टिंग को अनिवार्य करना और जल स्रोतों के पुनर्जीवन के लिए योजनाएं बनाना शामिल है। अल्ट्रासोनिक वाटर मीटर लगाना इन प्रयासों में एक महत्वपूर्ण कड़ी है।

आम जनता की भागीदारी आवश्यक

पानी बचाने की इस पहल को सफल बनाने के लिए आम जनता की भागीदारी आवश्यक है। लोगों को पानी का विवेकपूर्ण उपयोग करने और बर्बादी रोकने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। प्राधिकरण यह भी सुनिश्चित करेगा कि सभी उपभोक्ता समय पर बिल का भुगतान करें और मीटर की सही स्थिति बनाए रखें।

ग्रुप हाउसिंग सोसाइटियों में पानी की बर्बादी रोकने के लिए अल्ट्रासोनिक वाटर मीटर लगाना ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण का एक सराहनीय कदम है। यह न केवल पानी की खपत को नियंत्रित करेगा, बल्कि लोगों को पानी बचाने के प्रति जागरूक भी बनाएगा। यदि इस पायलट प्रोजेक्ट का ट्रायल सफल होता है, तो इसे बड़े पैमाने पर लागू किया जाएगा, जिससे पानी के स्रोतों को सुरक्षित रखने में मदद मिलेगी।

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