असम के मुख्यमंत्री ने हाल ही में एक नई नीति की घोषणा की है जिसके तहत सरकारी नौकरियों के लिए केवल असम में जन्मे नागरिक ही आवेदन कर सकेंगे। इस निर्णय का उद्देश्य असम के स्थानीय लोगों को सरकारी नौकरी में प्राथमिकता देना और राज्य के संसाधनों का संरक्षण करना है।
मुख्यमंत्री ने यह घोषणा करते हुए कहा, “हमारी सरकार का प्राथमिक उद्देश्य असम के मूल निवासियों के अधिकारों की रक्षा करना है। लंबे समय से हम देख रहे हैं कि असम के बाहर से लोग सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन कर रहे हैं, जो स्थानीय लोगों के लिए अवसरों की कमी पैदा कर रहा है। इस नई नीति के तहत हम यह सुनिश्चित करेंगे कि असम के स्थानीय नागरिकों को सरकारी नौकरियों में प्राथमिकता मिले।”
यह नीति असम के नागरिकों की पहचान और उनके अधिकारों को सुरक्षित रखने के लिए बनाई गई है। मुख्यमंत्री ने बताया कि इस नीति के लागू होने के बाद सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन प्रक्रिया में असम में जन्म प्रमाण पत्र को अनिवार्य किया जाएगा। इस प्रमाण पत्र को सरकारी नौकरी के लिए आवेदन करते समय प्रस्तुत करना होगा।
मुख्यमंत्री ने इस निर्णय का समर्थन करते हुए कहा कि यह कदम असम के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने यह भी बताया कि इससे असम के स्थानीय लोगों को रोजगार के बेहतर अवसर मिलेंगे और राज्य के विकास में उनकी भागीदारी बढ़ेगी।
इस घोषणा के बाद विभिन्न क्षेत्रों से प्रतिक्रियाएँ आनी शुरू हो गई हैं। कुछ लोग इस निर्णय को स्वागतयोग्य मानते हैं, जबकि कुछ अन्य इसका विरोध कर रहे हैं। समर्थन करने वालों का कहना है कि यह नीति असम के स्थानीय निवासियों के हित में है और राज्य के संसाधनों के उचित उपयोग को सुनिश्चित करेगी।
विरोध करने वालों का कहना है कि यह नीति असम के बाहर के योग्य उम्मीदवारों को अवसर नहीं देगी और इससे राज्य की सरकारी नौकरियों में विविधता की कमी हो सकती है। कुछ लोगों ने यह भी चिंता जताई है कि यह नीति असम के सामाजिक ताने-बाने को प्रभावित कर सकती है और राज्य के बाहर से आने वाले लोगों के साथ भेदभाव कर सकती है।
मुख्यमंत्री ने इन आलोचनाओं का भी जवाब दिया और कहा कि इस नीति का उद्देश्य असम के स्थानीय लोगों के अधिकारों को सुरक्षित रखना है और इसे किसी भी रूप में भेदभाव के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने आश्वस्त किया कि राज्य सरकार इस नीति को लागू करने से पहले सभी पहलुओं पर विचार करेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि कोई भी कानूनी या सामाजिक समस्या उत्पन्न न हो।
इस नई नीति को लागू करने के लिए राज्य सरकार विभिन्न प्रशासनिक प्रक्रियाओं और नियमों को भी अद्यतन करेगी। सरकारी विभागों में नौकरियों के लिए आवेदन करने वाले लोगों को अब असम में जन्म प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा। यह प्रक्रिया कैसे काम करेगी, इसके बारे में और अधिक जानकारी जल्दी ही सार्वजनिक की जाएगी।
सम्भवत: यह नीति असम की राजनीति और समाज में नई बहस को जन्म देगी। हालांकि, मुख्यमंत्री ने इसे असम के स्थानीय निवासियों के हित में एक महत्वपूर्ण कदम बताया है और राज्य के विकास के लिए इसे अनिवार्य मानते हैं।
आगे के कदमों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए लोगों को संबंधित सरकारी विभागों की घोषणाओं का इंतजार करना होगा। सरकार इस नीति के लागू होने की तारीख और इससे संबंधित अन्य विवरणों को जल्द ही सार्वजनिक करेगी।